उलटे सीधे सपने पाले बेठे हैं,
सब पानी में कांटा डाले बेठे हैं
एक बीमार वसीयत करने वाला है
रिश्ते -नाते जीभ निकाले बैठे हैं
बस्ती का मामूल पे आना मुश्किल है
चौराहे पर वर्दी वाले बैठे हैं
धागे पर लटकी है इज्जत लोगों की
सब अपनी दस्तार संभाले बैठे हैं
साहिबजादा पिछली रात से गायब है
घर के अन्दर रिश्ते वाले बैठे हैं
आज शिकारी की झोली भर जाएगी
आज परिन्दे गर्दन डाले बैठे हैं....